रामावत संगत की स्थापना
महावीर मन्दिर के तत्त्वावधान में दिनांक 11 अक्टूबर, 2014 को जगद्गुरु रामानन्दाचार्य के सिद्धान्तों के अनुरूप गृहस्थों के लिए ‘रामावत-संगत’ की स्थापना की जायेगी, जिसके माध्यम से सभी रामभक्तों को एकसूत्र में जोड़ने का कार्य किया जायेगा।
जगद्गुरुजी का क्रान्तिकारी उद्घोष ‘‘जात पात पूछै नहि कोय; हरि को भजै सो हरि को होय’’ इसका मूलमन्त्र होगा। शाकाहार, व्यसन-विमुक्ति, चारित्रिक शुचिता, सामाजिक समरसता, सौहार्द तथा राष्ट्रभक्ति का उद्देश्य लेकर स्थापित इस ‘संगत’ में यद्यपि सभी देवताओं की पूजा होगी, किन्तु सर्वप्रधान देवता सीताजी, रामजी एवं हनुमानजी होंगे।
इस अवसर पर देश के सैकड़ों साधु-संन्यासी एवं ध्रर्माचार्य तथा अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित होंगे।
कार्यक्रम के पूर्व मुंबई की विशिष्ट गायक-मण्डली द्वारा सुन्दर-काण्ड का सस्वर पाठ होगा तथा कार्यक्रम के बाद देश के सर्वश्रेष्ठ रामायण-मंचन करनेवालों द्वारा रामायण का अभिनय होगा।
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